Ghazal
SHAM-E-GHAZAL
Saturday 22 September 2012
दामन
"मुझ से आखें चुरा रही है रात,
अपना दामन बचा रही है रात"
"एक शर्मीली सी दुल्हन की तरह,
रुख से घूघट उठा रही है रात"
"एक दिया आसमान पे रोशन है,
चाँदनी में नहा रही है रात"
"दिल की दुनिया उजड़ गयी जब से,
अश्क अपने बहा रही है रात"
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