Ghazal
SHAM-E-GHAZAL
Sunday 23 September 2012
बददुआ
" ज़िन्दगी को गुनाह नहीं कहते,
ख़ुशी को बददुआ नहीं कहते "
"हर कोई नहीं होता प्यारा,
हर किसी को अपना नहीं कहते"
"मिट्टी ही से है,वजूद सबका,
किसी बुरे को,बुरा नहीं कहते"
"जिस वफ़ा में हो गर्ज़ शामिल,
ऐसी ख्वाहिश को वफ़ा नहीं कहते"
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