Ghazal
SHAM-E-GHAZAL
Thursday 29 November 2012
मुस्कुराए
"एक दर्द बेपनाह को होठों पे लाए है
दुनिया समझ रही है की हम मुस्कुराए है"
"मैंने जिन आसुओं को जहाँ से छुपाये है
बनकर हँसी वही मेरे होंठों पे आए है"
"आने को आप याद तो हमको भी आए है
लेकिन जब अपने आप को हम भूल पाए है"
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